
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने नशीले पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में नादौन से आभासी माध्यम से भाग लिया। नई दिल्ली में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की।
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में नशे की समस्या को खत्म करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले एक दशक में नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों में 340% की बढ़ोतरी हुई है। 2012 में लगभग 500 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2023 तक बढ़कर 2,200 हो गए हैं। हेरोइन के मामलों में भी खतरनाक वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2020 में 29% थी और 2024 तक 50% तक पहुंच गई है।
सिंथेटिक ड्रग्स और चुनौती:-
मुख्यमंत्री ने सिंथेटिक ड्रग्स की बढ़ती समस्या का जिक्र किया, जो न केवल खतरनाक है, बल्कि अपनी रासायनिक संरचना के कारण इसे नियंत्रित करना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने अंतरराज्यीय सीमाओं पर बढ़ रही तस्करी की घटनाओं पर चिंता जताई और इसे रोकने के लिए एक समग्र और सशक्त दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कानून और पुनर्वास:-
मुख्यमंत्री ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह संगठित अपराध और आतंकवाद को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की बहु-आयामी रणनीति पर प्रकाश डाला, जिसमें कानून प्रवर्तन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और न्यायिक सुधारों का समन्वय शामिल है।
उन्होंने कहा, “नशे के शिकार लोग स्वभाव से अपराधी नहीं होते। हमारा उद्देश्य उन्हें सजा देने से आगे बढ़कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना होना चाहिए।” उन्होंने एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 37 में संशोधन का उल्लेख किया, जिससे आदतन अपराधियों को जमानत प्राप्त करने की संभावना को कम किया गया है।
राज्य की उपलब्धियां
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले तीन वर्षों में 16 करोड़ रुपये की अवैध संपत्तियां जब्त की हैं। राज्य में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (पीआईटी-एनडीपीएस) अधिनियम लागू करने के बाद मादक पदार्थों की तस्करी पर प्रभावी रोकथाम शुरू हो गई है।
विशेष कार्यबल का गठन
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन करने जा रही है, जो नशीली दवाओं की तस्करी के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा। इस एसटीएफ को विशेष संसाधन और स्वायत्तता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही, राज्य में समर्पित पुलिस स्टेशन स्थापित किए जाएंगे ताकि नशीली दवाओं के नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
मुख्यमंत्री ने खुफिया जानकारी साझा करने और सीमा पार नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना क्षेत्रीय तस्करी नेटवर्क को खत्म करने में मदद करेगा।
नशा मुक्त हिमाचल का सपना
मुख्यमंत्री ने कहा, “चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोगों का अटूट समर्थन, हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्पण और पुनर्वास के प्रति हमारी संवेदनशीलता, हमें नशा मुक्त राज्य बनाने में सक्षम बनाएगी। हम सभी मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करेंगे।